वाक(वाघ) बारस – वाक(वाणी) विज्ञान
‘वाक(वाणी) को धन की तरह सोच सोच के खर्च करना चाहिए। ‘सु-वाणी और शुद्ध वाणी’ यानी ‘श्री सरस्वती देवी की उपासना’,
इससे अष्ट लक्ष्मी कि प्राप्ति सुलभ बनती है।
‘वाक’ का अपभ्रंश होके ‘वाघ’ हो गया है, इसलिए वाघबारस कहते है।
‘वाक(वाघ) बारस’ के शुभ दिन पे आपके कंठ में बिराजमान वाकदेवी श्री सरस्वती को नमस्कार।
– आध्यात्मिक विज्ञानी ललित